Previous post in series :
Gītārtha-Saṁgraha - Maṅgala Verses in Sanskrit
Gītārtha-Saṁgraha - Chapter 1 in Sanskrit
Gītārtha-Saṁgraha - Chapter 2 in Sanskrit with english meaning of each word.
अथ द्वितीयोऽध्यायः
सञ्जय उवाच
तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् ।
सीदमानमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥१॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
विष्ट | viṣṭa | filled or accompanied with |
सीदति | sīdati | despair |
श्रीभगवानुवाच
कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम् ।
अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन ॥२॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
कुतस्त्य | kutastya | coming from where? |
कश्मलमय | kaśmalamaya | filled with or producing distress of mind |
विषम | viṣama | dangerous / uneven |
समुपस्थित | samupasthita | arisen / appeared |
अनार्यजुष्ट | anāryajuṣṭa | or possessed by non-Aryas |
आदौ लोकव्यवहाराश्रयेणैव श्रीभगवानर्जुनं प्रतिबोधयति, क्रमात्तु ज्ञानं करिष्यतीति, अत: ‘अनार्यजुष्टम्’ इत्याह ॥२॥
क्लैव्यादिभिर्निर्भर्त्सनमभिदधदधर्मे तव धर्माभिमानोऽयमित्यादि दर्शयति
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
आदौ | ādau | initially / at the beginning |
क्रमात् | kramāt | gradually |
मा क्लैब्यं गच्छ कौन्तेय नैतत्त्वय्युपपद्यते ।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप ॥३॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
क्लैब्य | klaibya | cowardice |
परन्तप | parantapa | destroying foes |
अर्जुन उवाच
कथं भीष्ममहं संख्ये द्रोणं च मधुसूदन ।
इषुभिः प्रतियोत्स्यामि पूजार्हावरिसूदन ॥४॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
पूजार्ह | pūjārha | respectable / worthy of reverence or honour |
गुरूनहत्वा हि महानुभावा-
ञ्छ्रेयश्चर्तुं भैक्ष्यमपीह लोके ।
न त्वर्थकामस्तु गुरून्निहत्य
भुञ्जीय भोगान् रुधिरप्रदिग्धान्॥ ५॥
‘भीष्म द्रोणंच’ इत्यादिना, ‘भुञ्जीय भोगान्’ इत्यनेन च कर्मविशेषानु-सन्धानं फलविशेषानुसन्धानं च हेयतया पूर्वपक्षे सूचयति ॥५॥
नैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयो
यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयुः ।
यानेव हत्वा न जिजीविषाम-
स्ते नः स्थिताः प्रमुखे धार्तराष्ट्राः ॥६॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
कतर | katara | which of the two? |
गरीयस् | garīyas | more precious or valuable |
यद्वा … यदि वा { वा } | yadvā … yadi vā { vā} | if … or if [or] |
जिजीविषा | jijīviṣā | desire to live |
नैतद्विद्यः – इत्यनेन च कर्मविशेषानुसंधानमाह। निरभिसंधानं तावत्कर्म नोपपद्यते। न च पराजयमभिसंधाय युद्धे प्रर्वतते । जयोऽपि चायमनर्थ एव। तदाह ‘अहत्वा गुरून् भैक्षमपि चर्तुं श्रेय:’ । एतच्च निश्चेतुमशक्यम्, – किं जयं काङ्क्षाम: कि वा पराजयम्, जयोऽपि बन्धूनां विनाशात् ॥६॥
कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः
पृच्छामि त्वां धर्मसंमूढचेताः ।
यच्छ्रेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे
शिष्यस्तेऽहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् ॥७॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
कार्पण्य | kārpaṇya | weakness / poverty |
सम्मूढचेतस् | sammūḍhacetas | troubled or infatuated in mind |
यच्छ्रेष्ट | yacchreṣṭa | best possible |
प्रपन्न | prapanna | surrendered |
न हि प्रपश्यामि ममापनुद्या -
द्यः शोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् ।
अवाप्य भूमावसपत्नमृद्धं
राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम् ॥८॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
प्रपश्यमान | prapaśyamāna | intelligent |
अवाप्य | avāpya | having obtained |
सञ्जय उवाच
एवमुक्त्वा हृषीकेशं गुडाकेशः परन्तप ।
न योत्स्यानिति गोविन्दमुक्त्वा तूष्णीं बभूव ह ॥९॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
परन्तप | parantapa | destroying foes |
तूष्णीं | tūṣṇīṃ | silently |
तमुवाच हृषीकेशः प्रहसन्निव भारत ।
सेनयोरुभयोर्मध्ये सीदमानमिदं वचः ॥१०॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
प्रहसन | prahasana | sarcasm / satire |
सेनयोरुभयोर्मध्ये - इत्यनेनेदं सूचयति - संशयाविष्टोऽर्जुना नैकपक्षेण युद्धान्निवृत्तो यत एवमाह स्म,– ‘शाधि मां त्वां प्रपन्नम्’ इति ॥१०॥
अत उभयोरपि ज्ञानाज्ञानयोर्म ध्यग: श्रीभगवतानुशिष्यते
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
सूचयति | sūcayati | express / reveal / suggest |
नैक | naika | not alone / various / numerous |
निवृत्त | nivṛtta | having renounced or given up |
प्रपन्न | prapanna | surrendered |
श्री भगवानुवाच
त्वं मानुष्येणोपहतान्तरात्मा
विषादमोहाभिभवाद्धिसंज्ञ: ।
कृपागृहीतः समवेक्ष्य बन्धू-
भिप्रपन्नान्मुखमन्तकस्य ॥११॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
गृहीत | gṛhīta | seized / caught |
समवेक्षते { समवेक्ष् } | samavekṣate { samavekṣ} | consider |
मानुष्यं-मनुष्यभाव:। अन्तकमुखं स्वयमेते प्रविष्य इति तव को बाध: ॥११॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
स्वयम् | svayam | himself / oneself / itself / herself |
प्रविष्ट | praviṣṭa | having entered |
अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावन्नाभिभाषसे ।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥१२॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
अशोच्य | aśocya | not to be deplored |
प्रज्ञावत् | prajñāvat | wise / intelligent |
गतासु | gatāsu | dead |
शोचितुमशक्यं कलेवरं-सदा नश्वरत्वात्, अशोचनार्हमात्मानं च शोचसि । न कश्चित् गतासु:-मृतः, अगतासु:-जीवन्वा शोच्योऽस्ति। तथाहि-आत्मा तावदविनाशी, नानाशरीरेषु संचरत: कास्य शोच्यता। न च देहन्तरसंचारे एव शोच्यता। एवं हि यौवनादावपि शोच्यता भवेत् ॥१२॥
एवमर्थद्वयमाह
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
शोचित | śocita | worried |
कलेवर | kalevara | body |
नह्येवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः ।
न चैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम् ॥१३॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
न जातु | na jātu | never |
नेम | nema | time |
जनाधिप | janādhipa | king |
देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा ।
तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र न मुह्यति ॥१४॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
जरा | jarā | age |
मुह्यति | muhyati | be bewildered or perplexed |
अहं हि नैव नासम् अपि तु आसम् । एवं त्वम् अमी च राजान: ॥१३॥ आकारान्तरे च सति यदि शोच्यता, तर्हि कौमारात् यौवनावाप्तौ किमिति न शोच्यते । यो धीर:, स न शोचति। धैर्यं च एतच्छरीरेऽपि यस्यास्था नास्ति, तेन सुकरम् । अतस्त्वं धैर्यमन्विच्छ ॥१४॥
अधीरास्तु मात्राशब्दवाच्यैरर्थैर्ये कृता: स्पर्शा इन्द्रियद्वारेणात्मना संबन्धा:, तत्कृता या: शीतोष्णसुखदु:खाद्यावस्था अनित्या: तास्वपि शोचन्ति। न त्वेवं धीरा इत्याह
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
नैव { न एव } | naiva { na eva} | not at all / hardly |
आसम् | āsam | I was |
कौमार | kaumāra | adolescence / youth |
धीर | dhīra | brave / strong |
मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः ।
आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत ! ॥१५॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
शीतोष्ण | śītoṣṇa | cold and hot |
आगमापायिन् | āgamāpāyin | coming and going / transient |
नित्यस्थ | nityastha | always abiding in |
अथवा-मात्राभि:-इन्द्रियैर्येषां स्पर्शों न तु साक्षात्परमात्मना। आगमः-उत्पत्तिः।। अपायो-विनाश:। एतद्युक्रांस्तितिक्षस्व-सहस्व ॥१५॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
अपाय | apāya | danger |
सहस्वत् | sahasvat | victorious |
यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ ! ।
समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते ॥१६॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
व्यथयति | vyathayati | pain |
कल्पते | kalpate | consider as |
ननु यत एवागमापायिन एते सर्वे दशाविशेषास्तत एव शोच्यन्ते ? मैवम् । तथाहि, कोऽयमागमो नाम? उत्पत्तिरिति चेत् । सापि का ? असत आत्मलाभ: सा, इति त्वसत् । असत्स्वभावता हि निःस्वभावता निरात्मता। निरात्मा च निःस्वभावः कथं स स्वभावीकर्तु शक्य:; अनीलं हि न नीलीकर्तुं शक्यम्-स्वभावान्तरापत्ते-र्दुष्टत्वात् । तथा च शासत्रम्
‘नहि स्वभावो भावानां व्यावर्तेतौष्ण्यवद्रवे:’ ।
इति। अथ सत एवात्मलाभ उत्पत्ति:, तदा लब्धात्मनोऽस्य जात्वपि अनभावात् नित्यतैवेत्यागमे का शोच्यता। एवमपायोऽपि सतोऽसतो वा। असत्तावदसदेव । सत्स्वभावस्यापि कथमसत्तास्वभाव:। द्वितीये क्षणेऽसावसत्स्वभाव:–इति चेत्, आद्येऽपि तथा स्यादिति न कश्चिद्भाव: स्यात्; स्वभावस्यात्यागात्। अथ मुद्ररादिनास्य नाश: क्रियते। स यदि व्यतिरिक्त:, भावस्य किं वृत्तम्? न दृश्यते-इति चेत्, मा नाम दर्शि भाव:। न त्वन्यथाभूतः पटावृत इव। अव्यतिरिक्तस्तु नासावित्युक्तम् । तदेतत्संक्षिप्याह
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
ननु | nanu | indeed / no doubt |
दशाविशेष | daśāviśeṣa | any particular state |
शोच्य | śocya | regrettable / unfortunate |
अनील | anīla | white |
व्यावर्त | vyāvarta | separating |
आद्य | ādya | immediately preceding / first |
कश्चिद् | kaścid | someone |
व्यतिरिक्त | vyatirikta | withheld / with drawn / free from |
किं वृत्तम्? | kiṃ vṛttam? | What is the news? |
नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः ।
उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः ॥१७॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
विद्यते | vidyate | exist |
उभय | ubhaya | in both ways |
अथ च लोककवृत्तेनेदमाह - असतो - नित्यविनाशिन: शरीरस्य न भाव: - अनवरतमवस्थाभि: परिणामित्वात् । नित्यसतश्च - परमात्मनो नास्ति कदाचिद्विनाशोऽपरिणामधर्मत्वात् । तथा च वेद:
‘अविनाशी वा अरेऽयमात्मानुच्छित्तिधर्मा’ इति। (बृ. आ. ४। ५। १४)
अनयो: सदसतोरन्त: - प्रतिष्ठापदं यत्रानयोर्विश्रान्ति: ॥ १७॥
यस्तत्त्वदर्शिभिदृष्ट: स खलु नित्योऽनित्यो वा - इत्याशङ्क्याह
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
नित्य | nitya | eternal |
विनाशिन् | vināśin | undergoing transformation |
अनवरतम् | anavaratam | incessantly |
अनयोः | anayoḥ | of these two |
सदसत् | sadasat | good and bad / real and unreal |
यस्त | yasta | entrusted |
खलु | khalu | Is it not? / verily |
अविनाशि तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम् ।
विनाशमव्ययस्यास्य न कश्चित्कर्तुमर्हति ॥१८॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
तद्विद् | tadvid | knowing that |
ततम | tatama | that one |
तुश्चार्थे । आत्मा च अविनाशी ॥१८॥ तुश्चार्थे । आत्मा च अविनाशी ॥१८॥
अन्तवन्त इमे देहा नित्यस्योक्ताः शरीरिणः ।
विनाशिनोऽप्रमेयस्य तस्माद्युध्दयस्व भारत !॥१९॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
प्रमेय | prameya | measurable |
निरुपाख्यताकाले स्थूलविनाशयोगिन: तदन्यथानुपपत्तेरेव च विनाशिन: - प्रतिक्षणमवस्थान्तरभागिन: । यदुक्तं
अन्ते पुराणतां दृष्ट्वा प्रतिक्षणं नवत्वहानिरनुमीयते ।
इति । मुनिनापि
कलानां पृथगर्थानां प्रतिभेद: क्षणे क्षणे।
वर्तते सर्वभावेषु सौक्ष्म्यात्तु न विभाव्यते ॥
इति । पृथगर्थानामिति - पृथगर्थक्रियाकारित्वादिति यावत् । देहा अन्तवन्तो विनाशिनश्च। आत्मा तु नित्य:, यतोऽप्रमेय: । प्रमेयस्य तु जडस्य परिणामित्वं न त्वजडस्य चिदेकरूपस्य, स्वभावान्तरायोगात् । एवं देहा नित्यमन्तवन्तः, इति शोचितुमशक्या:। आत्मा नित्यमविनाशी, तेन न शोचनार्हः । तन्त्रेणायमके: कृत्यप्रत्ययो द्वयोरर्थयोर्मुनिना दर्शित ‘अशोच्यान्, इति ॥१९॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
निरुपाख्य | nirupākhya | unreal |
तदन्य | tadanya | other than that |
प्रतिक्षणम् | pratikṣaṇam | every moment |
भागिनः | bhāginaḥ | participants |
अन्ते | ante | in the end |
नवत्व | navatva | newness / novelty |
पृथगर्थ | pṛthagartha | having separate or distinct meanings |
प्रतिभेद | pratibheda | dividing |
क्षणे क्षणे | kṣaṇe kṣaṇe | every moment |
सर्वभाव | sarvabhāva | whole heart or soul / whole being or nature / complete satisfaction |
सौक्ष्म्य | saukṣmya | fineness |
विभाव्यते | vibhāvyate | appear |
यावत् | yāvat | until |
य एनं वेत्ति हन्तारं यश्चैनं मन्यते हतम् ।
उभौ तौ न विजानीतो नायं हन्ति न हन्यते ॥२०॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
वेत्ति | vetti | know |
मन्यते | manyate | think |
विजानीते | vijānīte | know |
हन्ति | hanti | kill |
हन्यते | hanyate | be struck or killed |
य एनमात्मानं देहं च हन्तारं हतं च वेत्ति, तस्य अज्ञानम, अत एव स बद्ध:॥ २०॥
न जायते म्रियते वा कदाचि-
न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः ।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥२१॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
जायते | jāyate | happen |
म्रियते | mriyate | die |
भवित | bhavita | been |
भूय | bhūya | being / becoming |
हन्यमान | hanyamāna | being killed or slain |
एतदेव स्फुटयति - नायं भूत्वा - इति । अयमात्मा न न भूत्वा भविता, अपितु भूत्वैव । अतो न जायते । न च म्रियते - यतो भूत्वा न न भविता, अपितु भवितैव ॥२१॥
Sanskrit Word | Transliteration | English Meaning |
---|---|---|
स्फुटयति | sphuṭayati | make clear or evident |
Note : Reading in Progress
Meanings from Learnsanskrit